बावल विधानसभा क्षेत्र से 4 बार विधायक और 3 बार हरियाणा की मंत्री रहीं शकुंतला भागवडिय़ा का सियासी सफर पर नजर

 

हरियाणा का राजनीतिक अतीत अनूठे किस्सों, तथ्यों से अटा पड़ा है। यहां की राजनीति में आक्रामकता के साथ-साथ उथल-पुथल भी रही है। राजनीति की इसी उथल-पुथल के बीच बहुत से राजनेता अपने जीवन में दुर्घटनावश सियासत में आए और फिर राजनीति में नए मुकाम भी रच दिए।

ऐसी ही एक लीडर रहीं शकुंतला भागवडिय़ा। बावल विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक और तीन बार हरियाणा की मंत्री रहीं शकुंतला ने कभी सियासत में आने का ख्याल पाला नहीं था। मैट्रिक और जे.बी.टी. करने के बाद सरकारी नौकरी में आ गईं। 1964 में वे जनसंपर्क विभाग में फील्ड पब्लिसिटी अस्टिैंट के पद नियुक्त हुईं।

नौकरी ठीक चल रही थी। 1974 में एकाएक प्रदेश के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने शकुंतला को बिना किसी कारण नौकरी से निकाल दिया। दरअसल शकुंतला के कई पारिवारिक सदस्य राजनीति से जुड़े थे और वे चौधरी देवीलाल के समर्थक माने जाते थे।

खैर जिस चौधरी बंसीलाल ने शकुंतला को नौकरी से निकाला, उसी शकुंतला को राज्य के एक और लाल चौधरी देवीलाल ने साल 1977 में बावल से विधानसभा की टिकट दे दी। शकुंतला 1977 में विधायक बनीं और इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। बंसीलाल ने जिस विभाग की नौकरी उनसे छीनी बाद में उसी जनसंपर्क विभाग की वो मंत्री बन गईं। एक लाल ने नौकरी से निकाला, दूसरे लाल ने विधायक बनाया तो तीसरे लाल ने उन्हें मंत्री बना दिया।political journey of haryana Shakuntala Bhagwadia