2 हजार का नोट बंद करने की असल वजह आई सामने, पढ़ें PM के प्रधान सचिव रहें नृपेंद्र मिश्रा का ताजा बयान

केन्द्र सरकार ने शुक्रवार 19 मई से 2 हजार के नोट को बंद करने का फैसला लिया है. RBI की ओर से 30 सितंबर, 2023 तक इन नोटों को बैंकों से बदलने की तारीख मुकर्रर की गई है. आरबीआई के 2 हजार रुपए का नोट बंद करने के फैसले से हर कोई हैरान रह गया. सभी जानने को उत्सुक हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे क्या वजह हो सकती है. पीएम मोदी के प्रधान सचिव रहें नृपेंद्र मिश्रा ने इसकी असल वजह स्पष्ट की है.
अपेक्षित था 2 हजार के नोटों का बदला जाना
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि 2016 में जब नोटबंदी की योजना बनाई थी, तब पीएम मोदी के दिमाग में पहले से ही यह बात थी कि 2 हजार रुपए का नोट एक अस्थाई समाधान है. यानि कि इन नोटों का बदला जाना अपेक्षित ही था.
पीएम मोदी थे आश्वस्त
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि जब दो हजार रुपए का नोट लाया गया था, तब पीएम मोदी ने कहा था कि यह एक विशेष परिस्थितियों में लाई गई अस्थाई व्यवस्था थी. इसे दीर्घकालीन प्रकिया के साथ कभी आगे लेकर नहीं बढ़ना था. इसके साथ ही उस समय पीएम मोदी का मत था कि यह बड़ा नोट प्रमुख रूप से गरीबों के लिए लेनदेन में व्यवहारिक नहीं होगा. ऐसे में इसे बदलें जाने को लेकर प्रधानमंत्री आश्वस्त थे.
चरणबद्ध तरीके से लिया गया फैसला
2016 में दो हजार का नोट लाया गया, तब पीएम मोदी की सोच थी कि इसे लंबे समय तक चालू रखेंगे तो काले धन को बढ़ावा मिलेगा और दूसरा टैक्स की चोरी आसान होगी. इसलिए उनका मत था कि जितना जल्दी इसे वापस लिया जाए, उतना ही बेहतर होगा.
चरणबद्ध तरीके से लिए गए फैसले
1. पहले निर्णय में 2 हजार रुपए के नोट की छपाई बंद की गई.
2. अगले चरण में धीरे- धीरे इनके सर्कुलेशन कम करने की और इनकी वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई.
3. और अब शुक्रवार को RBI ने एक सर्कुलर जारी कर स्पष्ट ही कर दिया है कि 30 सितंबर तक इन सभी नोटों को वापस लिया जाएगा.