इस पेड़ की खेती से किसान कमा रहा है लाखो रूपए, इसकी छाल की विदेश में है अच्छी मांग

 

भारत देश में बहुत से ऐसे पेड़ है जो जड़ी बूटियों का भी काम करते हैं जिन का औषधीय महत्व ही बहुत सादा होता है उन्हीं में से एक पेड़ है अर्जुन पेड़। इस पेड़ की छाल का इस्तेमाल काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है साथ ही बैड कोलेस्ट्रॉल समेत कई अन्य लोगों से भी छुटकारा पाने के लिए इसकी सलाह दी जाती है।

वही इस पेड़ से किसानों को भी अच्छा मुनाफा कमाने को मिल रहा है अर्जुन का पेड़ 47 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा विकास करता है गर्मी में इसकी खेती अच्छी मानी जाती हैं इससे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है बाजार में इसकी लकड़ियां और छाल की अच्छी डिमांड है।
अर्जुन का पेड़ 47 डिग्री के तापमान में अच्छी तरह से विकसित होता है इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगा सकते हैं. हालांकि, इसका पौधा, उपजाऊ जलोढ़-कछारी, बलुई दोमट मिट्टी में काफी तेजी से विकास करता है. बुवाई ले पहले उबलते हुए पानी में इसके बीजों को भिगोकर उपचार जरूर कर लें.
इसके बीजों को पानी में 3 से 4 दिन तक भिगोकर कर रखना चाहिए आठ से 9 दिन में अंकुरित होते है । इसके बाद ही इसकी बुवाई खेती में करनी चाहिए अर्जुन पर सही तरीके से विकास करें इसके लिए खेती में उचित जल निकासी की व्यवस्था भी करनी चाहिए अधिक जल जमने से पौधा सढ़ सकता है। 
अर्जुन का पेड़ 15 16 साल में जाकर तैयार होता है इस दौरान इसकी लंबाई 11 से 12 मीटर और मोटाई 59 से 79 सेंटीमीटर तक बढ़ जाती है बाजार में इसकी छाल की अच्छी कीमत मिलती है ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इसकी कीमत हजारों रुपए पहुंच गई है इसके अलावा इस पेड़ की लकड़ियों में फर्नीचर बहुत अच्छा बनाया जाता है अर्जुन पेड़ के बहुत सारे फायदे होने के साथ-साथ लाखों की कमाई भी है