SYL नहर का मामला, अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या दिया है जवाब ? पढ़िए

Yuva Haryana : सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर का पानी हरियाणा को कब मिलेगा ? यह सवाल कई वर्षों से सवाल ही बना हुआ है। पंजाब और हरियाणा के इस जल विवाद को सुलझाने के लिए मामला केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के दर पर है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला हरियाणा के हक में दे रखा है कि पंजाब राज्य हरियाणा के हिस्से का एसवाईएल का पानी उसे दें।
इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने कोर्ट को जवाब दिया। केंद्र ने कहा है कि भारत सरकार के भरपूर प्रयास के बावजूद एसवाईएल मुद्दे का अब तक कोई समाधान नहीं हो सका है। जल शक्ति मंत्री की पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक हुई थी लेकिन वह बेनतीजा ही रही।
केंद्र सरकार ने मामले के समाधान के लिए आगे भी प्रयास जारी रखने की बात कही है। दोनों राज्यों ने भी इस मुद्दे के समाधान के लिए भविष्य में होने वाली बैठक में शामिल होने पर सहमति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया है कि पिछले वर्ष छह सितंबर को शीर्ष अदालत के दिए आदेश को देखते हुए जल शक्ति मंत्री के आग्रह पर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री की बैठक हुई थी।
बैठक में पंजाब ने कहा कि रावी, ब्यास व सतलुज नदियों में पानी की उपलब्धता कम है और ऐसे में हरियाणा के साथ साझा करने के लिए उनके पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है।
पंजाब ने कहा कि 1985 के पंजाब बंदोबस्त (राजीव-लोंगोवाल समझौते) की एसवाईएल को पूरा करने से संबंधित खंड पर चर्चा करने से पहले अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाए क्योंकि ब्यास और सतलुज नदियों में हरियाणा के साथ साझा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
ऐसे में पंजाब का कहना है कि एसवाईएल नहर के निर्माण का सवाल नहीं उठता। वर्ष 2016 में पंजाब ने पहले ही एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि को डीनोटिफाई कर किसानों को लौटा दिया था।
केंद्र ने यह भी बताया कि बैठक में हरियाणा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल नहर के निर्माण का आदेश दे रखा रखा है तो आदेश का पालन पंजाब को करना चाहिए।
क्या है SYL विवाद ?
- 18 नवंबर 1976 को पंजाब राज्य ने एसवाईएल का पानी देने के लिए हरियाणा से करीब एक करोड़ रुपये लिए थे।
- सन 1977 में नहर के निर्माण को मंजूरी दी गई लेकिन बाद में पंजाब समझौते से पीछे हटने लगा।
- वर्ष 1979 में हरियाणा ने एसवाईएल के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- साल 1979 में ही पंजाब ने पुनर्गठन एक्ट की धारा-78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
- 1981 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।
- साल 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में नहर का निर्माण शुरू करवाया।
- नहर का निर्माण होते देख पंजाब के राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल ने एसवाईएल की खुदाई पर विरोध जताया।
- वर्ष 1990 में एसवाईएल के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की हत्या भी कर दी गई।
- वर्ष 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।
- वर्ष 2016 में गठित पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।
- वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा।
- पिछले साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया था।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोनों राज्यों के बीच हुई बैठकों की रिपोर्ट केंद्र 19 जनवरी को दाखिल कर चुका है।