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Haryana News: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण आज से, ई-टेंडरिंग, सरपंचों पर लाठीचार्ज और महंगाई पर सरकार को घेरेगा विपक्ष

 


हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण शुक्रवार से शुरू होगा। इस सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। दूसरे चरण में बजट अभिभाषण पर व्यापक चर्चा होगी।

इसमें प्रदेश पर बढ़ रहे कर्ज को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है। इसके अलावा सरपंचों पर हुए लाठीचार्ज, ई-टेंडरिंग और महंगाई समेत अन्य मामले सदन में गूंज सकते है।

उधर, सरकार ने भी पलटवार करने और मजबूती से सवालों का सामना करने की पूरी तैयारी कर ली है। सदन सुबह 11 बजे शुरू होगा। प्रश्नकाल से इसकी शुरुआत होगी और शून्यकाल में विधायक अपने अपने मुद्दे उठा सकेंगे।

इसके अलावा दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी सदन में रखे जाएंगे। इस सत्र के लिए 52 विधायकों ने 339 तारांकित प्रश्न और 21 विधायकों ने 185 अतारांकित प्रश्न विधानसभा सचिवालय को भेजे हैं।

इन सभी के लिए ड्रॉ निकाला जा चुका है। साथ ही विधायकों से 71 ध्यानाकर्षण सूचनाएं, दो कार्य स्थगन प्रस्ताव, दो गैर सरकारी प्रस्ताव, दो अल्पावधि प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं। 

सचिवालय को एक प्राइवेट सदस्य विधेयक और सरकार की ओर से छह विधेयकों का प्रारूप भी मिला है। 18 और 19 मार्च को अवकाश है।

20 और 21 मार्च को भी बजट पर ही चर्चा होगी। 21 मार्च को ही मुख्यमंत्री इस पर विस्तृत जवाब देंगे। 22 मार्च का दिन विधायी कामकाज के लिए निर्धारित किया गया है।


बजट पर विभागों को अनुदान को लेकर बनाई गई आठ स्थायी समितियां शुक्रवार को सदन में अपनी रिपोर्ट पेश करेंगी। बजट पेश करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने ये कमेटियां बनाई थीं।

ये कमेटियां विभागों को अलॉट किए गए बजट और अलग-अलग मदों में प्रस्तावित बजट को लेकर सुझाव देंगी।

ये विधेयक किए जाएंगे पेश
हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2023
हरियाणा पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2022 (प्रवर समिति द्वारा यथा प्रतिवेदित)
पंडित लख्मी चंद राज्य प्रदर्शन और दृश्य कला विश्वविद्यालय, रोहतक (संशोधन) विधेयक, 2023
हरियाणा विनियोग (संख्या 1) विधेयक, 2023
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2023
हरियाणा विद्यालय शिक्षा (संशोधन) विधेयक, 2023

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि ऐसी योजना बनाई गई है, जिससे प्रत्येक विधायक को बजट पर चर्चा का अवसर मिलेगा।

उन्होंने कहा कि सदन के समय का पूरी तरह से जनहित में सदुपयोग हो, इसके लिए सभी दलों के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर हमें अपनी संसदीय परंपराओं की समीक्षा भी करनी चाहिए।