कई दौर की वार्ता के बाद भी ई-टेंडरिंग पर नहीं बनी सहमति, अब सरपंच उठाएंगे ये कदम

Yuva Haryana : हरियाणा में सरपंचों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है। सरपंच एसोसिएशन की सरकार के साथ कई दौर की बैठक होने के बाद भी मामला नहीं सुलझ पाया है। सरकार के साथ बैठक के बाद अब सरपंच एसोसिएशन ने गांव देहात बचाव अभियान जारी रखने का निर्णय लिया है। वहीं 17 मार्च को हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने का ऐलान भी कर दिया है।
बैठक के बाद सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष बलबीर सिंह समैण ने कहा कि उनकी तरफ से गांव देहात बचाव अभियान जारी रहेगा हालांकि करनाल का सीएम आवास का घेराव कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिया है।
समैण ने कहा कि जो मुद्दे थे उन पर उनकी सरकार के साथ सहमति नहीं बनी है। इनमें मुख्य रूप से राइट टू रिकॉल और ई टेंडरिंग का विषय शामिल था। इनके अलावा सेंटर की तरफ से 29 पूर्ण अधिकार देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने संविधान की तरफ से जो अधिकार दिए है उन्हें लागू करने की मांग थी।
सरकार के साथ हुई बैठकों में मानदेह समेत कई मांगों पर विचार हुआ। सरपंचों की तरफ से मांग थी कि 30 हजार रूपए मानदेय किया जाए लेकिन पांच हजार रूपए ही सरकार ने माना। समैण ने कहा कि मानदेय के अलावा भी कई अहम मुद्दे थे जिनपर सहमति नहीं बन पाई। सरपंचों द्वारा गांव के विकास के लिए पांच लाख रूपए की इजाजत देने का प्रस्ताव था लेकिन इसमें भी केवल पांच काम करवाने की बात कही गई।
आपको बता दें कि पिछले करीब डेढ़ माह से ई-टेडरिंग सहित कई मांगों को लेकर सरकार और सरपंचों के बीच गतिरोध चल रह है। इसको लेकर वीरवार को सरपंचों की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ करीब साढ़े चार घंटे तक बैठक हुई लेकिन इसके बाद भी गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है। वीरवार को हरियाणा निवास में रात 11:30 बजे तक बैठक हुई। सरपंचों की ओर रखी गई मांगों पर सरकार ने मंथन किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादातार मांगों पर सहमति बन गई है, कुछ चीजों पर मामला अटका है, जल्द ही विवाद सुलझ जाएगा लेकिन मामला अभी भी हल नही हुआ है।
सरपंचों ने रखी थी ये मांगें
- 73वें संशोधन की 12वीं सूची के 29 अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
- ई टेंडरिंग प्रणाली का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन इसकी लिमिट 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया जाए।
- ग्राम पंचायतों में कार्यरत सभी विभागों के कर्मचारियों की एसीआर लिखने का अधिकार सरपंच को दिया जाए या वह कर्मचारी सरपंच के अधीन किया जाए।
- गांव में कराए जाने वाले विकास कार्यों में कमी पाए जाने पर कार्यवाही संबंधित अधिकारी के खिलाफ की जाए ना कि सरपंच के खिलाफ क्योंकि सरपंच टेक्निकल नहीं होता।
- टोल टैक्स सरपंच के लिए माफ होना चाहिए।
- ग्राम पंचायत की जमीन की रजिस्ट्री का एक प्रतिशत पैसा पंचायत खाते में दिया जाए।
- ग्राम पंचायतों में घरेलू बिजली के बिलों का दो प्रतिशत पैसा पंचायत खाते में दिया जाए।
- ग्राम पंचायतों में सरकार द्वारा करवाए जाने वाले सभी कार्यों में गुणवत्ता कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र सरपंच से लेना अनिवार्य किया जाए व सभी कार्यों में सरपंच की भूमिका होनी चाहिए।
- सरपंचों का वेतन तीन हजार है इससे बड़ा कर 30 हजार किया जाए और पंचों का वेतन एक हजार रुपए से 5000 किया जाए।
- राइट टू रिकॉल कानून पहले विधायक व सांसदों पर लागू किया जाए उसके बाद स्थानीय निकाय संस्था पर लागू किया जाए।
- पंचायत सचिवालय में कॉमन सर्विस सेंटर में ऑपरेटर अलग से स्थापित किए जाएं ताकि आमजन को सुविधा का लाभ मिल सके।
- पूर्व सरपंच की पेंशन अब रुपए एक हजार है, उसे बढ़ाया जाए।
- मनरेगा की पेमेंट तीन महीने के अंदर अंदर होने चाहिए तथा इसको ब्लॉक लेवल पर किया जाए और उसकी दैनिक मजदूरी अब 321 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए की जाए ओर मनरेगा की ऑनलाइन हाजरी बंद की जाए क्योंकि कई बार बाहर गांव में इंटरनेट काम नहीं कर रहा होता और वह गैर हाजिर हो जाते हैं।
- आंदोलन के दौरान जो भी केस किए गए हैं वह वापस लिया जाए।
- गांव के अंदर पंचायत जमीन पर जो नाजायज कब्जा कर रखा है उसको तुरंत प्रभाव से हटाया जाए, जिससे पंचायत की आमदन ई-मेल इजाफा हो। 16-पी आर आई की बाकी बकाया राशि पंचायतों में जारी हो।