हरियाणा में डॉक्टरों को सरकारी नौकरी पसंद नहीं ! कारणों का पता लगाने के लिए कमेटी का गठन

Yuva Haryana : हरियाणा में डॉक्टरों की खासा कमी है। कमी की एक मुख्य वजह यह भी सामने आई है कि डॉक्टरों को सरकारी नौकरी पसंद नहीं आ रही है।
दरअसल, प्रदेश में कार्यरत कई डॉक्टर जहां वीआरएस ले रहे हैं तो वहीं ऐसे डॉक्टरों की संख्या भी बेहद ज्यादा है जिन्होंने नियुक्ति के बाद नौकरी ज्वाइन नहीं की।
विदेश में जाने के बाद बड़ी संख्या में डॉक्टर वापस ही नहीं लौटे। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करने में भी डॉक्टरों की कमी सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है।
डॉक्टरों के सरकारी सेवाओं के प्रति घटते रुझान का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेश पर तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की हाई लेवल कमेटी गठित की है।
यह कमेटी न केवल नौकरी छोड़ने के कारणों पर अपनी रिपोर्ट देगी बल्कि यह सुझाव भी दिए जाएंगे कि किस तरीके से अधिक से अधिक डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में लाया जा सकता है।
मौजूदा डॉक्टरों को सेवाओं में बनाए रखने के सुझाव भी कमेटी देगी। विज के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ जी़ अनुपमा ने तीन डॉक्टरों, जिनमें डॉ़ योगेश मेहता एचएसएच, झज्जर के सीएमओ
डॉ ब्रह्मदीप और डॉ निशिकांत की कमेटी गठित की है।
कमेटी को 4 सप्ताह में अपनी विस्तृत रिपोर्ट देगी होगी। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री तक जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार अगला कदम उठाएगी।
एक प्रमुख अखबार में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 साल की अवधि में एक हजार से ज्यादा डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं।
इसको लेकर हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र भी लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में बताया कि वेतन-भत्तों और सुविधाओं का कम होना, एक बड़ा कारण है जो डॉक्टर प्राइवेट सेक्टर की ओर दौड़ रहे हैं।
प्रदेश की आबादी के लिहाज से राज्य में 10 हजार डॉक्टरों की जरूरत है। वर्तमान में सरकार के पास लगभग चार हजार ही डॉक्टर हैं।