
केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती गेहूं की कीमतों को संभालने के लिए शनिवार को एक अहम फैसला लिया. डीजीएफटी की अधिसूचना में कहा गया कि सभी तरह के गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा रही है. देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है. आज हम जानने वाले हैं कि सरकार के इस फैसले से क्या फर्क पड़ने वाला है?
सरकार के गेहूं का निर्यात तुरंत रोकने से सबसे बड़ा प्रभाव इसकी कीमत पर पड़ेगा, जो कि इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 फीसदी तक बढ़ चुकी है. वहीं, गेहूं की कीमत में कमी आने के बाद दूसरा बड़ा फायदा ये होगा कि इसकी कीमत निर्धारित 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के करीब पहुंच जाएगी. यहां बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली के बाजार में गेहूं की कीमत लगभग 2,340 रुपये प्रति क्विंटल थी,
जबकि निर्यात के लिए बंदरगाहों पर 2575-2610 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगाई गई थी. कीमत कम होने के कारण सरकार को उन राज्यों से अपनी खरीद को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है, जहां व्यापारियों और जमाखोरों के पास कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद में भंडार दबे हुए हैं. सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने से देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के मामले में भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में स्टॉक मौजूद रहेगा.
इस फैसले से आटे के दाम गिरेंगे और आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी. समय बड़ी मात्रा में निर्यात के कारण केंद्र को दो साल के भीतर 7.1 मिलियन टन का बड़ा आयात करना पड़ा था, वो भी दोगुनी कीमत में. ऐसे में सरकार की ओर से उठाया गया ये कदम बड़ी राहत देने वाला साबित हो सकता है.