Haryana : बासमती धान के मूल्य में न्यूनतम मूल्य निर्धारित, मंडियों में भाव में गिरावट

Yuva Haryana : केंद्र सरकार ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को 1200 डॉलर प्रति टन पर निर्धारित किया है। इसके परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा की मंडियों में बासमती धान और चावल के भाव में नीचे की ओर गिरावट दर्ज की गई है। इस नए मूल्य को 15 अक्टूबर तक लागू किया गया है।
पंजाब और हरियाणा की मंडियों में, पिछले कुछ दिनों के अंदर, बासमती 1509 धान के भाव में 500 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है, जिसके कारण इसका भाव 29 अगस्त को 3300 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है। यह बासमती 1509 धान का भाव पहली कटाई के लिए उपयोग होता है।
निर्यातकों का कहना है कि नये न्यूनतम मूल्य (मेप) का उचित नहीं है और यदि यह मूल्य आगे भी बरकरार रहता है तो घरेलू बाजार में बासमती धान और चावल के भाव में और भी गिरावट आ सकती है।
बासमती धान के विशेषगत स्वरूप के कारण, इसकी परिपक्वता अवधि अन्य प्रकार के धान से कम होती है, जिसके कारण मंडियों में इसकी आवक जल्दी शुरू हो जाती है।
]उत्तरी राज्यों की मंडियों में, 15 अक्टूबर के बाद बासमती धान के आवक में वृद्धि होती है। निर्यातकों की मान्यता के अनुसार, यह न्यूनतम मूल्य (मेप) मध्य अक्टूबर से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, अन्यथा देश में बासमती धान और चावल के भाव पर गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
बासमती धान का उत्पादन पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में होता है। इसका बड़ा हिस्सा विशेषगत स्वरूप और उचित मूल्य के कारण निर्यात में जाता है। इससे भारत की आमदनी में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
**परिवहन में असुविधा**
परिवहन के (ट्रांजिट) माध्य
म से बासमती चावल की अनेक खेपें अब तक फंसी हुई हैं और उनका शिपमेंट रोका गया है। इससे निर्यातकों को आर्थिक नुकसान की संभावना है।
**निर्यातकों की चिंता**
निर्यातकों के अनुसार, यह नया न्यूनतम मूल्य (मेप) उचित नहीं है और यदि 15 अक्टूबर के बाद भी इसे बरकरार रखा गया तो बासमती धान और चावल के निर्यात में और भी नुकसान हो सकता है।